Panch Sudhaar – Country Needs them Right Away

Prime Minister Modi called for Panch Pran (oath/pledge) from the Red Fort on Independence Day.

These pledges are: Taking pride in our civilizational roots, Removing traces of colonial mindest, a developed India by 2047, Duties and responsibilities of citizens, and unity among workers.

Not to be outdone, the chief of AAP who is discredited with the removal of donor lists from his party’s website soon jumped out with 5 Kaam (tasks). Flushed with unaccounted money, he is threatening to take a nationwide tour in the name of Make India Number 1 and exhorting Indians to join the National Mission, he is trying to set his own agenda. Misleadingly enough, he is coming to the same rhetoric that this project has nothing to do with party politics.

The fact remains that the aspirations of the country can be met with sudhaars (reforms). (Photo: Canva)

The political parties are desperate to outsmart each other because the very survival depends upon showing each other down or in poor light. Whereas, politics demands that the elected representatives work with the spirit of working together for nation-building.

The fact remains that the aspirations of the country can not be met without sudhaars (reforms). Mere incremental changes will not help, we need reforms to galvanize our country. There are many reforms that we need, but Panch Sudhar (5 Reforms) that we need immediately are:

  1. Ban electoral Bonds- the symbols of black money in politics
  2. Bring political parties under RTI
  3. Right to Recall and Right to Initiative
  4. Ban big currency notes immediately
  5. Give 7 % of the national budget in form of untied funds to Gram Panchayats to empower them in a realistic manner.

The country needs real reforms to bring an overhaul. So, Panch Pran is good, no one is stopping them to do Panch Kaam, but we really need Panch Sudhaar in order to upgrade our democracy.

“लोक उम्मीदवार” के माध्यम से भाई-भतीजावाद की समस्या को खत्म किया जा सकता है।

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे देश में भाई-भतीजावाद (Nepotism) एक बहुत बड़ी समस्या है। राजनीती में परिवारवाद, भाई भतीजावाद का बोलबाला आपको स्पष्ट दीखता है- गांधी, लालू ,करूणानिधि , मुलायम,देवीलाल -चौटाला, ममता -अभिषेक, इत्यादि। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि इसका उपाय क्या है?

तो आपको बात दें की इसका उपाय भी राजनीतिक दलों के पास ही है। पार्टियां जनता का प्रतिनिधित्व करती हैं, तो परिवारवाद, हाई कमांड कल्चर जैसे विकारों को पार्टियों से खत्म करने का दायित्व भी उन्हीं का बनता है। लेकिन क्या यह राजनीतिक दल अपने आप को सुधारेंगे? क्या बिल्ली अपने गले में घंटी खुद बाँधेगी? अगर आज की स्थिति को देखा जाए तो लगता नहीं कि ऐसा कुछ होगा। लेकिन क्या जनता इन राजनीतिक दलों को, पार्टियों में व्याप्त विकारों को खत्म करने व सुधार लाने के लिए विवश कर सकती है?

देश में भाई, भतीजावाद एक बहुत बड़ी समस्या है। (साभार: Wikimedia Commons)

आज भारतीय लोकतंत्र पर राजनीति दल इस कदर हावी हो चुके हैं कि वह एक गैंग की तरह नजर आने लगे हैं। आप सभी ने राजीव दीक्षित का एक वीडियो देखा होगा जिसमें उन्होंने कहा है कि किसी भी एक नगर में या क्षेत्र में हमें अपना जन प्रतिनिधि चाहिए, तो हम (जनता ) उसका चुनाव कर उसे संसद में भेज सकते हैं, इस के लिए यह दल या पार्टियां क्यों चाहिए?

तो उनकी इस बात से यह समझ आता है कि वास्तव में लोकतंत्र में राजनीतिक दल न भी हो, तो भी लोकतंत्र को चलाया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त अगर हम इस परिकल्पना में न भी जाएं की राजनीतिक दलों को पूर्ण रूप से खत्म कर दिया जाए, तब भी अगर राजनीतिक दल इस तरह का सुधार लेकर आएं कि उसमें कोई भी सदस्य उतना ही हक रखता हो की वह पद, जिम्मेदारियों के साथ पार्टी में आगे बढ़ सके। यानी कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की स्थापना हो।

पश्चिम जगत के देशों में इस प्रकार के रिफॉर्म्स को लाया जा चुका है। उन देशों में ऐसी प्रणाली विकसित की गई है, जिसकी वजह से राजनीतिक दल किसी एक या कुछ लोगों की बपौती नहीं बनती है। इसलिए परिवारवाद-भाई भतीजावाद जैसी समस्या वहाँ देखने को नहीं मिलती है।

भारतीय परिप्रेक्ष्य में यह करना असंभव लगता है, लेकिन अगर हम प्रधानमंत्री की बात पर जाएं तो इसके कुछ उपाय यह लगते हैं।

  1. भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) स्वतः प्रधानमंत्री की भावनाओं का ध्यान रखते हुए, आंतरिक लोकतंत्र (inner party democracy ) के लिए कानून बनाए। या ऐसा सिस्टम बनाए की अगर राजनीतिक दल आंतरिक लोकतंत्र से नहीं लेकर आती हैं तो, पार्टी की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
  2. संसद के माध्यम से भी इस पहलू पर विचार किया जा सकता है और कानून बनाया जा सकता है।
  3. लोक उम्मीदवार (Lok Ummedwar): जनता भी राजनीतिक दलों की गुंडागर्दी, धाकड़बाजी, माफियाखोरी से परेशान है। और इसको खत्म करने के लिए, जनता भी एक व्यवस्था के तहत लोक समितियाँ बनाकर या मतदाता परिषद के तहत, जनता बड़े स्तर पर, अपने क्षेत्र से अपना उम्मीदवार या प्रतिनिधि खड़ा कर सकती है। उन जन उम्मीदवारों को भी चुनावों में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के मुकाबले चुनाव लड़वा सकती है। आप इस विचार को लोक उम्मीदवार (Lok Ummedwar) भी कह सकते हैं। इसी के माध्यम से राजनीतिक दलों को भी विवश होना पड़ेगा की वह अपने में सुधार लेकर आएं।

How to Reclaim the Democracy? Lok Swarajya is the Answer

Today in India it is August 15, 2022. It is the 14th night in Chicago. We as Indians are celebrating the 75th year of Independence (Azadi Ka Amrit Mahotsav).
On this day, my thoughts about how to Reclaim our Democracy. Lok Swarajya is the answer to the current ills of our Loktantr (democracy).

This article has been published at NewsGram.

https://www.newsgram.com/politics/2022/08/14/time-to-reclaim-democracy

IndependenceDayIndia

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