सपनों के देश में यह कैसा अंधेरा ?

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पिछली दो शताब्दियों में अमेरिका ने सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व विकास किया है, पर अपने समाज में श्वेत-अश्वेत के बीच नस्ली भेदभाव की खाई पाटने में पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाया है। आज जब वह खुद को विश्व नेता के रूप में स्थापित करना चाहता है, तब उसे अपने घर में फैली नस्ली असमानता मिटाने पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। इन दिनों अमेरिका में ‘अफ्रीकन अमेरिकन हिस्ट्री मंथ’ मनाया जा रहा है।19 फरवरी, 2015 के नवभारत टाइम्स समाचारपत्र में प्रकाशित मेरा लेख – सपनों के देश में यह कैसा अंधेरा:

http://epaper.navbharattimes.com/details/24870-56805-1.html